आष्टा/बाबा खबरीलाल- केन्द्र एवं प्रदेश सरकार किसानों के साथ लगातार छलावा कर रही है। एक तरफ तो केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार के जिम्मेदार प्रधानमंत्री एवं मंत्री किसानों की आय दोगुनी करने की बड़ी बड़ी बाते अपने भाषणों में करते है, वही प्रदेश के किसानों की गेहूं की फसल पककर तैयार होने पर भी सरकारी खरीदी समय से शुरू नहीं की गई, जिसके कारण किसानों को अपने खेतों से फसलों को परिवहन एवं भंडारण में अतिरिक्त व्यय का वहन करना पड़ा। यदि समय से सरकारी खरीदी शुरू हो जाती तो किसानों को बचत होती तथा सीधे फसल बेच देते। वहीं सरकार ने मंडी व्यापारियों पर भी गेहूं की स्टॉक सीमा लगा दी,जिसके कारण किसानों को खुली मंडी में भी गेहूं की अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एवं प्रदेश कांग्रेस कार्यकरणी सदस्य कैलाश परमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को पत्र लिखकर उनका ध्यान किसानों की इस वाजिब समस्या पर दिलाया है। परमार ने पत्र के माध्यम से सरकार से मांग की है की गेहूं की खरीद पर जो स्टॉक सीमा लगाई है, उसे किसानों के हित में तत्काल हटाया जाए ताकि किसानों को बाजार एवं मंडी में भी गेहूं की उपज का अच्छा दाम मिल सके। परमार ने बताया की मौसम अनुकूल होने के कारण इस वर्ष गेहूं एवं अन्य मौसमी रबी फसल की पैदावार अच्छी हुई है। खरीफ फसल से किसानों को लागत भी नहीं निकल पाती है, ओर जब रबी फसल के भी किसानों को दाम अच्छे नहीं मिलेगे तो कैसे किसानों की आय दोगुनी होगी। सरकार द्वारा गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा देने से व्यापारी वर्ग गेहूं की सीमित खरीदी कर रहे है। जिसके कारण गेहूं के दाम बाजार में भी अच्छे नहीं मिल रहे है।