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श्रद्धा में जान जाती, ऊपर से DJ पर फिल्मी गाने … ये कौन सी भक्ति है साहब.. कौन है इन 6 मौतों का जिम्मेदार ?

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सीहोर/कमल पांचाल ……..देश का केंद्र बिंदु बने मध्य प्रदेश के सीहोर जिला स्थित कुबेरश्वर धाम में मंगलवार को भगदड़ मचने 2 जहां दो महिला श्रद्धालुओं की दुखद मौत हो गई थी आधा दर्जन से ज्यादा महिला श्रद्धालु घायल भी हुए जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
और ऊपर से दूर दराज कई राज्यों से आए भारी भरकम साउंड या कहे जान लेवा DJ पर फिल्मी गाने देखने को मिला, ऐसे में यह कहना बिल्कुल सही है की डीजे पर बज रहे फिल्मी गानों पर भक्ति तो संभव नहीं है डीजे पर शिव की आराधना तो संभव नहीं है डीजे से भगवान शिव तो प्रसन्न होंगे नहीं! यदि डीजे से ही भगवान शंकर प्रसन्न होते तो हिमालय पर्वत पर उन्हें ध्यान साधना करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। वही बुधवार को कावड़ यात्रा में शामिल हुए 2 लोगों की और मौत हो गई थी और आज फिर 25 वर्षीय युवक की मौत होने की खबर आई है कुल मिलाकर अब तक आधा दर्जन लोगों की मौत हो हो चुकी है
हालांकि जिला प्रशासन ने कल हुई दो मौतों को सामान्य मौत बताया था।
और खेर अब सवाल यह है की की कब तक श्रद्धा इस भीड़ तंत्र का शिकार बनती रहेगी ?

और कौन है इन 6 मौतों का जिम्मेदार…?
किसकी नाकामी के चलते इन श्रद्धालुओं की मौत हुई..?
क्या प्रशासन या आयोजक व्यवस्था बनाने में नाकाम है…?
जब तक भक्ति के नाम पर इस तरह के आयोजन होते रहेंगे तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे…!
खेर आपको नजर भी नहीं आएगा यह हादसा क्योंकि आप परम भक्ति के चरम सीमा पर हैं जहां आपको दूसरों के दर्द अपने मनोरंजन के सामने नजर नहीं आते हैं सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में कल एक बार फिर वही हुआ जो दो साल पहले भी हुआ था भगदड़, चीखें और दो श्रद्धालु जिंदगियों की दर्दनाक मौत। लेकिन आपकी नजरों में यह एक दुर्घटना है लेकिन ये सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी, ये एक दोहराई गई लापरवाही थी, इंटरनेट से शुरू घर घर शुरू हुई भक्ति अब घर घर से बुलाने पर पहुंच गई है यही कारण है श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है लेकिन आयोजक है की व्यवस्था बढ़ाने पर ध्यान ही नहीं देते हैं इसीलिए कहना गलत नहीं है कि यह दोहराई हुई गलतियां है जिनकी जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं है।


खेर ईश्वर का शुक्रिया कीजिए की इसमें महज 3 दिनों में 6 जिंदगियां गई हैं या कहे ईश्वर बार बार संदेश दे रहा है वरना इससे बड़े हादसे से भी इंकार नहीं किया जा सकता है
दरअसल कांवड़ यात्रा में शामिल होने कई राज्यों से श्रद्धालु भारी संख्या में कुबेरेश्वर धाम पहुंचे थे, लेकिन हर बार की तरह इस बार न भीड़ का प्रबंधन था, न प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा, और न ही कोई आपात योजना और अंततः आधा दर्जन लोग जान गंवा बैठे। सिर्फ इसलिए कि श्रद्धा और भक्ति के नाम पर सीहोर जिले का सरकारी सिस्टम हर बार आंख मूंद लेता है। खेर इनकी भी गलती नहीं है सत्ता स्वयं ऐसे बाबाओं के आगे नतमस्तक पड़ा हुआ है लिहाजा आपको याद भी नहीं होगा इससे पहले भी हुए हादसों में कई जान जा चुकी है लेकिन आज तक सरकारी सिस्टम कि मजाल है की किसी को जिम्मेदार ठहरा दे…?
और अब भी यही होगा इन 6 मौतों का कौन जिम्मेदार है इस सवाल का जवाब इस बार भी नहीं मिल पाएगा।
आपको बता दूं की दो साल पहले भी इसी जगह, रुद्राक्ष वितरण आयोजन में भगदड़ मच गई थी। जिसमें तीन साल के बच्चे और दो महिलाओं की मौत हुई वहीं कई लोगों की जान पर बन पर आई थी। डोम गिरने से भी जान गई थी और हमेशा इन हादसों के बाद कहा जाता है इस बार सीख लेंगे, अगली बार पूरी तैयारी होगी। लेकिन 2025 में भी वही दर्द, वही मौतें, वही लापरवाह प्रबंधन लेकिन जिम्मेदार कौन…?
यह सवाल आज भी बना हुआ है
अब सवाल यह की ऐसे आयोजनों में हो रही मौतों की जवाबदेही किसकी है?
क्या आयोजन की जवाबदेही सीहोर पुलिस और जिला प्रशासन की ?

क्या आयोजन करने वाले प्रदीप मिश्रा की इन मौतों पर कोई जिम्मेदारी नहीं बनती ?
जब लाखों की संख्या में भीड़ आने की सूचना पहले से थी, तो क्यों पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं की गईं ?
कुबेरश्वर धाम पर होने वाले आयोजन छोटे आयोजन नहीं है, यह एक पहले से सुनियोजित, TV, चैनलों पर प्रचारित और ब्रांडेड धार्मिक इवेंट रहे है। लेकिन ऐसे बड़े आयोजनो में लोगों की जान बचाने के लिए कोई भी बुनियादी इंतजाम न हों तो क्या हम माने की इसे भीड़ तंत्र के नाम पर अंधा व्यापार हो रहा है ?
लेकिन भक्ति श्रद्धा के नाम भीड़ तंत्र को एकत्रित करने वालों के आगे सत्ता और प्रशासनिक तंत्र पूरा नत्मस्तक हुए पड़ा है जबकि कायदे में तो ऐसे आयोजनों में होने वाली घटनाओं के बाद मौतों के लिए तो सीधी जवाबदेही तय होनी चाहिए फिर वो कोई संस्था हो या कोई बाबा या कथावाचक…!
खेर मध्यप्रदेश के मानव अधिकार आयोग ने सीहोर जिले के एसपी और कलेक्टर को नोटिस जारी कर यह बताने का प्रयास किया है कि मानव अधिकार आयोग अभी भी है….!
वरना इससे पहले हुई मौतों पर कोई आयोग नहीं जागा, यदि इससे पहले हुई मौतों पर जिम्मेदार आयोग जागते और आयोजकों की जिम्मेदारी तय करते तो 2025 में शायद आधा दर्जन जान नहीं जाती!
खेर धर्म के नाम पर जो नशा दिया जा रहा है जरूरत है इसे भी नशा मुक्ति अभियान में शामिल किया जाय वरना ऐसी मौत रुकने वाली नहीं।

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