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केंद्र की 49 करोड़ रुपए की अमृत -2.0 योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट,PMO कार्यालय में पहुंची शिकायत, मचा हड़कंप

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नगर पालिका में नहीं थम रही सरकारी योजनाओं की राशि की बंदरबाट

स्थानीय प्रशासन सहित जिला प्रशासन मौन बैठा, पब्लिक का उठ रहा है सिस्टम से भरोसा

आष्टा/कमल पांचाल
लगभग 49 करोड़ रुपये से आष्टा नगर पालिका परिषद में संचालित अमृत योजना 2.0 शुरुआत में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। योजना के तहत जो अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाई जा रही है अब उस पर शहर में नागरिक भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए गंभीर सवाल खड़े कर रहे है वही शहर के नागरिकों ने इस योजना में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाकर पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) तक शिकायत कर दी हैं वही पूरे मामले पर स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। गौरतलब है की आष्टा नगर पालिका को शहर के नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र की और से संचालित अमृत योजना 2.0 के तहत 49 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि प्राप्त हुई है लेकिन अब तक नागरिकों को इस योजना के अंतर्गत शुद्ध पेयजल का लाभ मिलना तो दूर की बात है अब तो उक्त योजना में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने के आरोप लग बैठे हैं। और यह तक शहर के नागरिकों सहित सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्ष कांग्रेस के नेता भी नगर पालिका पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाकर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।


आपको बता दें की इस योजना के नाम पर करोड़ों रुपए के भुगतान हो चुका है तो वही अंडरग्राउंड पाइपलाइन बिछाने के नाम पर शहर भर में कई इलाकों की सड़के खोद डाली गई है तो आष्टा से 22 किलोमीटर दूर रामपुरा जलाशय से अब तक पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू नहीं हो चुका है वही शहर में 8 इंच की जगह 4 से 6 इंच की पाइप लाइन डालकर शहर की सड़कों को खोद दिया गया है दूसरी और ठेकेदार महीनों से खुदी पड़ी इन सड़कों की मरम्मत तक नहीं कर रहा है जिससे नागरिक बहुत परेशान हो रहे हैं ऐसे में अब पूरी योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर शिकायतकर्ता ने पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) तक शिकायत कर जांच की मांग करते हुए दोषियों पर FIR दर्ज करने की मांग की है लिहाजा पीएमओ में शिकायत के बाद नगर पालिका में हड़कपं मचा हुआ है और फिलहाल काम को रोक दिया गया है जिससे बीजेपी की इस नगरपालिका पर नागरिकों में विश्वास उठ रहा है और अधिकारी सहित जनप्रतिनिधियों की नियत पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
खेर देखने वाली बात है कि पीएमओ प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत के बाद स्थानीय सहित जिला प्रशासन कब नींद से जागता है और भ्रष्टाचारी दानवों पर क्या कार्यवाही करता है या फिर अपने हिस्से की मलाई ले कर खानापूर्ति करता है .?

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